लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा के सामने उपचुनाव में भी खाता खोलने की बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है। बसपा अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। पार्टी ने जातीय समीकरण देखते हुए प्रत्याशी भी तय कर लिए हैं, लेकिन उनकी अधिकृत घोषणा अभी होनी है।
उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद भी पार्टी प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार करेंगे। वैसे तो जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से एक भी बसपा ने वर्ष 2022 के आम चुनाव में नहीं जीती थी। उस चुनाव में पार्टी को सिर्फ बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट पर सफलता मिली थी। इस सीट से उमा शंकर सिंह ने फिर जीत दर्ज की थी। लगातार खिसकते जनाधार के चलते लगभग छह माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी का एक भी सीट पर खाता नहीं खुला था। अकेले चुनाव मैदान में उतरी पार्टी वर्ष 2014 की तरह शून्य पर सिमट गई थी।
वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने में जुटीं बसपा प्रमुख मायावती अमूमन उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती रही हैं, लेकिन पहली बार नौ सीटों के एक साथ हो रहे उपचुनाव को लड़ने की घोषणा की है। लोकसभा की तरह मायावती उपचुनाव में भी एनडीए और आइएनडीआइए से दूर ही रहेंगी। किसी से गठबंधन किए बिना ही अकेले चुनाव लड़ने वाली मायावती की कोशिश है कि उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन से विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। यही कारण है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद ही पार्टी नेताओं को हर एक सीट की जिम्मेदारी सौंपते हुए जातीय समीकरण को ध्यान में रख प्रत्याशी तय कर दिए थे। अब चुनावी अधिसूचना होने पर प्रत्याशियों की घोषणा भी दो-चार दिन में ही कर दी जाएगी। पार्टी को खासतौर से अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से बड़ी उम्मीदें हैं।
प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर संबंधित नौ जिलों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी चंद्रशेखर ने बताया कि निर्वाचन आयोग द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन की जांच के बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर होगी।