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EWS कोटा 100 साल की लड़ाई को झटका, फिर डालेंगे अर्जी; स्टालिन ने किया विरोध का ऐलान

 

गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण पर स्टालिन ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने वकीलों से राय ले रहे हैं और इसके खिलाफ फिर से अदालत जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से EWS कोटे को वैध और संवैधानिक बताए जाने का भाजपा, कांग्रेस समेत सभी दलों ने स्वागत किया है। एकमात्र दल डीएमके की ओर से इसका तीखा विरोध किया गया है। तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज डीएमके के नेता स्टालिन ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने वकीलों से राय ले रहे हैं और इसके खिलाफ फिर से अदालत जाएंगे। एमके स्टालिन ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे एक सदी से चली आ रही सामाजिक न्याय की लड़ाई को धक्का लगा है। उन्होंने इसके खिलाफ सभी लोगों से एकजुट होने की भी अपील की। तमिलनाडु की डीएमके सरकार इस मामले में एक पार्टी थी। उसने अपने राज्य में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नौकरी न देने का फैसला लिया था और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। डीएमके के सहयोगी नेता टी. तिरुमावलन ने भी कहा है कि पार्टी की ओर से अदालत में पुनर्विचार के लिए अर्जी डाली जाएगी। स्टालिन ने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय के लिए चल रही हमारी एक सदी की लड़ाई को धक्के की तरह है। उन्होंने कहा कि संविधान में आरक्षण के लिए पहला संशोधन कराने वाले सभी संगठनों और समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों को एकजुट होना होगा। तभी हम इस मामले में अपना पक्ष रख सकते हैं। 

स्टालिन ने कहा कि यह वक्त है, जब हमें सामाजिक न्याय के लिए फिर से एकजुट होना होगा। डीएमके की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा कि आरक्षण का अर्थ सामाजिक न्याय से है। इसके तहत आर्थिक न्याय करने की भावना नहीं था। उन्होंने कहा, 'आरक्षण का मकसद यह था कि उन लोगों को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में समान अवसर मिल सकें, जिनके साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय हुआ है।' डीएमके के वकील ने कहा कि सिर्फ गरीबी के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं की जा सकती। गौरतलब है कि EWS कोटे का संसद में भी डीएमके और आरजेडी ने विरोध किया था। इसके अलावा अन्य सभी दलों ने समर्थन किया था।

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