उत्साहित, भक्तिमय माहौल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का मिलन नहीं हो रहा है। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस बार 16 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसकी वजह भी उन्होंने बताई। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12.58 बजे लगकर 16 अगस्त की रात 10.29 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि लगेगी। उक्त तारीख की सुबह 8.08 बजे तक भरणी नक्षत्र है। फिर सुबह 8.09 बजे से कृतिका नक्षत्र लगेगा। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 6.29 बजे लगकर 18 अगस्त की भोर 4.54 बजे तक रहेगा, लेकिन तब दशमी तिथि रहेगी।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सुबह स्नान करके समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। फिर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें। दिनभर मन में श्रीकृष्ण, विष्णु नाम जप अथवा श्रीमद्भागवत का यथासंभव पाठ करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल अथवा मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति अथवा चित्र को नए वस्त्र धारण कराकर उन्हें पालने में स्थापित करके पूजन करें।