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UPPCB: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करें चीनी मिलें, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया आग्रह

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने चीनी मिलों से प्रदूषण नियंत्रण के लिए नवीनतम तकनीक अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने सतत विकास पर जोर देते हुए कहा कि औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन आवश्यक है। बोर्ड उद्योगों को पूर्ण सहयोग देने के लिए तत्पर है। चीनी मिलें प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।उन्नत अपशिष्ट उपचार संयंत्र (एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट), उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली और ईंधन खपत तकनीक का उपयोग चीनी मिल करें। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा वर्ष 2018 के चार्टर-1.0 की सफलता का उल्लेख करते हुए नवीन चार्टर-2.0 को भी प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया।

बोर्ड के कार्यालय में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) को प्राथमिकता देना आवश्यक है। हमें उत्पादन और अपशिष्ट प्रबंधन में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना होगा। बोर्ड द्वारा समय-समय पर किए गए निवेश सुधारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने आश्वासन दिया कि पर्यावरणीय अनुपालन और सहमति प्रक्रियाओं के माध्यम से बोर्ड उद्योगों को पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा।अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की 133 चीनी मिलें राज्य को देश का अग्रणी चीनी उत्पादक बनाती हैं। ये इकाइयां लाखों किसानों और श्रमिकों को रोजगार प्रदान करती हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती हैं और राज्य की जीडीपी में उल्लेखनीय योगदान देती हैं।

उप्र चीनी मिल एसोसिएशन के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डा. यशपाल सिंह ने समस्याओं, तकनीकी प्रयासों और सीपीसीबी द्वारा जारी चार्टर-2.0 के लागू करने पर विस्तार से जानकारी दी। बैठक में चीनी मिलों से अपने सुझाव और शिकायतें लिखित रूप में सीपीसीबी को भेजने का आग्रह किया गया।

 

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